शैलेश कश्यप ने अपनी नई किताब “अप्रत्यक्ष चोट की धूमिल नजर” लॉन्च किया है

“अप्रत्यक्ष चोट की धूमिल नजर” किताब के बारे में
अप्रत्यक्ष की चोट धूमिल होती है कुछ कल्पनाएं जो अज्ञात की बात और अनुपस्थितियों की उपस्थितियों को दर्शाता है जो अदृश्य है। अब कुछ चोट लिए तैयार हंसते मुस्कुराते इक पुरानी याद से मिलाती जो उम्र कैद के समान जीवन के कई पहलुओं का सिफ़त रहता है।
इस पुस्तक में एक ललाई लिए धुंधला सा राज जो कोई कहता नही मानो बादलों में धूमिल होने का भाव जो गैरहाजिरी के समान दिखता है और हा जो कुछ कहने से डरता है लेकिन शायद इसलिए इस तरह और चोट प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष से अपने आप को भी अलग करता है। अब कुछ तलाश जारी है जो हमने महसूस किया है इस पुस्तक में लिखा है जो आपबीती आयनों के समान प्रत्यक्ष रूप से आपसे अपनी बात करेंग और सत्य कहेगी। और जीवन की पगडंडी में टेढ़े मेढे ही सही इक दिशा तय करने में सक्षम खुद से महसूस होगा ।
अब यू
चंद कदमों का रास्ता बस सर्वत्र है
साहस मेहनत शेष सिर्फ़ यही अर्थ है
-डॉ शैलेश कुमार
लेखक शैलेश कश्यप के बारे में
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष इन दोनों पहलुओं के साथ अपने जीवन के विभिन्न चरणों में बन साक्षी स्वयं को अलग करना और कुछ भावनाएं , कुछ प्रिय अनुभव , कुछ अप्रिय अनुभव और खुद को नेतृत्व करना , ख़ुद को समेटे रखना जो जीवन सिखा रहा है अब कुछ अनिवार्य रूप से छोटी-छोटी शुरुआत तो बीते कल और आज और अब जो एक स्मृति लेती चलती और बढ़ती जा रही है और शायद यही पल हैं जो हमें तलब करती है कि आप अपने अंदर छिपे लेखक क्रिया को प्रत्यक्ष रूप से प्रदर्शित करें ।
मैं शैलेश कुमार साहित्यिक नाम शैलेश कश्यप वर्तमान में अध्येता ही हूं..
जो जीवन के वास्तविक और दार्शनिक गतिविधियों को मानकर खुद को एक अच्छा और सच्चा नागरिक बनाने के क्रम में हूं जो समाज में एक सकारात्मकता का प्रभाव पैदा कर सकू और मैं उन सभी प्रत्यक्ष रूपी संसाधन और लोग जो भगवान निर्मित है मैं उन्हे पूजनीय मानता हूं जो हमें ज्ञान देते हैं
और अब तक कई कवि सम्मेलन , कई किताबो में सहलेखक
कई क़िताब एकल
कई राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मान और
संपादक के कार्यों
का अपने भारत देश को नेतृत्व करता हूं
धन्यवाद
-शैलेश कुमार
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