Web Story India
world of stories.

Dr. Rakhi Sharma – Author of Pareshan Zulfon sa Ishq, Bas itna hi – pens down amazing writings Mohbbat Jante Ho and Suno

Dr. Rakhi Sharma is a writer and poet from Balaghat, Madhya Pradesh. Dr. Rakhi Sharma is primarly a Homeopathic Medical Officer by profession who is currently working in District Covid Command. She is now a popular writer and poet in India.


Describing herself, she says that she is not a famous writer or a lover lost in love like Romeo’s Juliet.


After publishing her articles in eight poetry collections till now, “Pareshan Zulfon Sa Ishq.. Bas Itna Hi” is the first published book of her poetry collection.


Insta id – dr_rakhi_sharma
Facebook url – https://www.facebook.com/profile.php?id=100070382948248
Youtube.be url –
https://youtube.com/c/DRRAKHISHARMA
Email I’d – 93drrakhi93@gmail.com

Dr. Rakhi Recently penned the amazing write-up Mohabbat Jante Ho?


मोहब्बत जानते हो?


जब कोई मुझसे पूछता है, मैं सोच में पड़ जाती हूँ, अपने अतीत और वर्तमान के पहलुओं पर, गौर करते हुए कहती हूँ कि – “हाँ, जानती हूँ मोहब्बत, उसके हसीं पल, इक दूजे में खोए रहना, वो वक़्त का थम जाना, बिना कहे सब समझ लेना, नोंक झोंक, ईर्ष्या, उसके दर्द, उनकी पीड़ा, दिलों का जुड़ना, बेवफ़ा होना और उस बेवफ़ाई के डर से गलतियाँ करना, अपनी मोहब्बत को तार-तार कर देना एक झूठ से, और बिखेर कर रख देना उस महीन शहद में डूबे लम्हें को जिस लम्हे का हमने, सदियों इन्तेज़ार किया है, सब जानती हूँ मैं।

कहते हैं, लोग प्यार में झूठ नहीं कहते, जनाब! झूठ कहते हैं वो, जो कहते हैं हम प्यार में झूठ नहीं कहते।
परंतु अंततः यहि सत्य है कि प्रेम ही सर्वज्ञ सतत सत्य है…

कहानी थोड़ी लंबी है और शायद वाक्या थोड़ा पुराना लेकिन सोचती हूँ, शब्दों में बयां करना, कहने से ज्यादा आसान होगा शायद..
तो शुरू करते हैं….

डॉ राखी शर्मा_


“सुनो!”

सुनो! तुम्हें कुछ बातें बता के
चली जाना चाहती हूँ
के अब जब उसके हो गए हो तुम
तो हर पल हर लहजे देखना उसके
उसे पढ़ते रहने की साजिश करना
जैसे कभी पढ़ा था मेरे ज़ज्बातों को तुमने
उनसे बेहतर उसे समझने की कोशिश करना
पढ़ना उसका ढलना शामों की तरह
और सूरज की तरह उग आना हर सुबह
पढ़ना उसका समेटना खुदको और
तुम्हारी आड़ में छुपाना खुदको
पढ़ना की कैसे सुलझाती है अपने गेसुओं को और लताओं की तरह बलखाना उसका
पढ़ना श्रंगार में डूबा रूप यौवन और वो गले का हार उसका
पढ़ना की कैसे लजाती है तुम्हें देख नज़रे झुका कर और फिर
पढ़ना तुम्हारी पसंद याद रखने के जतन उसके और हठ कर मनवाना अपनी बातों को
पढ़ना तुम्हारे रूखे रवैये पर बिलख पड़ना उसका और फिर स्वयं मनाना तुमको
पढ़ना उसकी गुथी हुई चोटी में सारा विज्ञान जीवन का और जूड़े में सिमटा सारा भूगोल सृष्टि का।।

अब पढ़ना ये कि जीवन प्रेम है और कुछ भी नहीं
प्रेम ही सर्वज्ञ, सतत, सत्य है हर दृष्टि का ।।।

पढ़ना उसे हर्फ़ बा हर्फ़ और महसूस करना उसको
क्यूंकि
मैं पीली हो चुकी पत्ती की मानिंद हूँ
वो नयी कोमल हरियाली प्रिय
मैं दीमक लगी किताब और वो नया किस्सा प्रिय
पढ़ना उसे ऐसे की सब भूल बैठो तुम
एक नया अध्याय आरंभ करने से पूर्व
पिछला हिस्सा ना चूक बैठो तुम
मैं चाहती हूँ तुम खुश रहो सदैव उसके संग
हमारी कहानी बन चुकी है बीता प्रसंग….

डॉ. राखी ❤️

Leave A Reply

Your email address will not be published.